"ठण्डे पड़े जल भाँति बहते लहू से, कुछ भी कभी नहीं होगा माल सजेगी संग भाल सजेगी रणचंडी कि थाल सजेगी क्रान्ति का फ़िर विगुल बजेगा शंखनाद तभी होगा" #क्रान्ति #ukd #दोटूक