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मगर अब तक वो शाम, मेरे शीशे उस पार क्यों है। नज़रो

मगर अब तक वो शाम, मेरे शीशे उस पार क्यों है।
नज़रों से पर्दा हटाया मगर, जन्नत के नजारों का इंतजार क्यों है ।

©Vivek
  #इश्क_में_दीवार