लगाकर पेंग झूले पर, सुनाती गीत कजरी के। उमग रस कुंभ से छलके, मदिर नवनीत कजरी के। लचकते देह के अवयव, लचकती साथ में डाली, नयन में दोलनों को भर, पुलक मनमीत कजरी के। -नवल किशोर सिंह 18.08.2023 ©#yenksingh #Fun #sawan #kajari #Love