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हर ओर शोक कुछ,गहरा दिल यह गहराई बहुत कठिन मंजिल इन

हर ओर शोक कुछ,गहरा दिल
यह गहराई बहुत कठिन मंजिल
इन शोक में ले जाते,मेरे चंद पदान
सौंपते मध्य कुछ भाव व आत्मसम्मान 
मान कर अपना,गहरे परिवर्तन का सहारा
गुलाब तुम्हारा। पानी भी ग़र ज्यादा हुआ, तू ना खिल पायेगा ,
आँधी ग़र आयी कभी, तू शायद गिर जाएगा ,
धूप ग़र बडी़ तेज़ पडी़, कैसे तू संभल पायेगा ,
प्रकृति के अनुरूप तेरी, तेरा ख़याल मैं करती हूँ ,
दायरे में आँचल के मेरे, तुझे मैं महफूज़ रखती हूँ ,
मैं तुमसे..........    'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
हर ओर शोक कुछ,गहरा दिल
यह गहराई बहुत कठिन मंजिल
इन शोक में ले जाते,मेरे चंद पदान
सौंपते मध्य कुछ भाव व आत्मसम्मान 
मान कर अपना,गहरे परिवर्तन का सहारा
गुलाब तुम्हारा। पानी भी ग़र ज्यादा हुआ, तू ना खिल पायेगा ,
आँधी ग़र आयी कभी, तू शायद गिर जाएगा ,
धूप ग़र बडी़ तेज़ पडी़, कैसे तू संभल पायेगा ,
प्रकृति के अनुरूप तेरी, तेरा ख़याल मैं करती हूँ ,
दायरे में आँचल के मेरे, तुझे मैं महफूज़ रखती हूँ ,
मैं तुमसे..........    'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।