White इसे देखकर मैं हमेशा.. असर में रहता था, एक पपीहा का बच्चा.. खोंफर में रहता था। गलीचे खिलते थे जब मदमस्त हवाओं में.. मानों शंख-सा हिलता सरोवर में रहता था। चिड़िया आती थी उतरकर.. नील गगन से उससे मिलने, किसी शौहर-सा, सालियों के बीच, कोहवर में रहता था। बेटियों की आती थी खत, उस कंगाल बाप को। पढ़ता..टूटता-सा वो, झोपड़ में रहता था। मानो सावन की पहली बूंद पड़ने के बाद...! अपने प्रीत के इंतजार में फूहड़ में रहता था। ___ Adv. Abhinav Anand Biharibabu ©Biharibabu Abhinav* #moon_day