पिता! हरसू आँसू, उदासी,आह ज़माने की घूरती निगाह कुछ खटकते-से इल्ज़ाम बददुआओं का बदतरीन जहां मगर ये दुनिया तिलिस्मों की भी है और तेरी दुआ की दुनिया सलामती की चादर बुनती है # पिता! तेरी दुआओं की दुनिया