शीर्षक - कह सकता है कल वह ऐसा ------------------------------------------------------ क्योंकि आज जिस प्रकार तुम हंस रहे हो, उसकी शराफत और ईमानदारी पर, उसकी शर्म, हकीकत और मजबूरी पर, ठहाके लगाकर जोर से मजलिस में। आज जिस प्रकार से वह मांग रहा है, तुमसे सम्मान और प्राथमिकता, समझा रहा है जिस प्रकार तुमको, अपनी लिखी रचना की हकीकत। जिस वह बता रहा है राज तुमको, किसी से किसी की नफरत- प्रेम का, और बता रहा है कड़वा सच तुमको, जिंदगी के रिश्ते- नाते ,रास्तों- सपनों का। मगर तुम कर रहे हो उसका अपमान, उसकी राह और मंजिल को देखकर, तुम बता रहे हो उसकी कहानी को, नकली और लूटपाट की साजिश। क्योंकि समय बड़ा बलवान होता है, कल उसको भी मिल सकती है, सच में उसकी मंजिल सपनों की, कल वह भी बन सकता है सितारा। उसकी प्रसिद्धि देखकर कल को, तुम बताकर उसको अपना दोस्त, मिलना चाहे उससे हाथ मिलाकर, और वह मना कर दे तुमसे मिलना, निकाल दो इनको बाहर तुरंत, धक्का देकर मेरे दरवाजे से, कह सकता है कल वह ऐसा। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) मोबाईल नम्बर- 9571070847 ©Gurudeen Verma #Moon