तव भक्ति हेतु शक्ति चाहूँ, अशक्ति वश भुक्ति करूँ। मम भावना यह ही प्रभु , क्षुधा रोग से मुक्ति करूँ। तुम वीतरागी हितोपदेशी, हो तुम्ही सर्वज्ञ प्रभो । मम लालसा यह हि प्रभु, तव सम बनूँ मैं कब विभो। संसार के सब जीव मुनिजन, कर सके शुचि भोजन सदा , बढ़ते रहे धर्म मार्ग में और, नहीं लहें भव दुःख कदा। #nojoto #jain #jainism