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तव भक्ति हेतु शक्ति चाहूँ, अशक्ति वश भुक्ति करूँ।

तव भक्ति हेतु शक्ति चाहूँ,
अशक्ति वश भुक्ति करूँ।
मम भावना यह ही प्रभु ,
क्षुधा रोग से मुक्ति करूँ।
तुम वीतरागी हितोपदेशी,
हो तुम्ही सर्वज्ञ प्रभो ।
मम लालसा यह हि प्रभु,
तव सम बनूँ मैं कब विभो।
संसार के सब जीव मुनिजन,
कर सके शुचि भोजन सदा ,
बढ़ते रहे धर्म मार्ग में और,
नहीं लहें भव दुःख कदा। Lokesh Jain Anekant Jain Aditya Suyash Jain 
#nojoto #jain #jainism
तव भक्ति हेतु शक्ति चाहूँ,
अशक्ति वश भुक्ति करूँ।
मम भावना यह ही प्रभु ,
क्षुधा रोग से मुक्ति करूँ।
तुम वीतरागी हितोपदेशी,
हो तुम्ही सर्वज्ञ प्रभो ।
मम लालसा यह हि प्रभु,
तव सम बनूँ मैं कब विभो।
संसार के सब जीव मुनिजन,
कर सके शुचि भोजन सदा ,
बढ़ते रहे धर्म मार्ग में और,
नहीं लहें भव दुःख कदा। Lokesh Jain Anekant Jain Aditya Suyash Jain 
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