Mumbai Rains छतों पर दो दरवाज़े वो अगल बगल, भीतर धड़कते दो दिल अगल बगल, मैं, चाय की दो प्याली और बाहर आते वो, चुस्कियों को चूमते मुस्कुराते दो होंठ, ज़हन में सैकड़ों बातें टहलते अगल बगल, अदाकारी जैसे खास जानते ही नहीं, धीरे से वो बदलते प्याली अगल बगल, पहले की चाय साधारण अब कुछ खास हो गयी, होंठों की निशानी छूते ही मिठास हो गयी, बेसुध हो हम अपने होंठ जला बैठे, मौके से छुप के जिनको वो सहला बैठे, लबों पर अब वो निशान ढूंढता हूँ, दहकती लबालब प्याली लिए वो इंसान ढूंढता हूँ, ग़मों के इस मौसम में जो होंठ फट गए हैं, फिर वो नर्म कर दे सपनों में हर रात ढूंढता हूँ...✍️ #RaghavRoopam #bisriyadein