जिंदगी की शाम कुछ है पर सुबह कुछ और है। मैंने कोरे ख्वाब पाले शायद हकीकत और है।। प्रेम नफरत पाट दो "स्वच्छंद"पिस्ता जा रहा। मुझको लगता है सनम तेरा सनम कोई और है। "उत्तम शर्मा" पिहानी हरदोई देव उत्तम शर्मा "स्वच्छंद" पिहानी, हरदोई (उ०प्र०)