लगते हैं अपने बैगाने यहाँ, लगता है, ये अपना शहर नहीं । जिसे मिल सके कभी, ठंडी छाँव खूशनसीब मेरा सर नहीं । सफर में है, मुशाफिर, मगर इसका कोई हमसफर नहीं । मोहब्बत की खुशबूओं से, कोई बेखबर नहीं । वो इश्क, भला इश्क हो नहीं सकता, जिसमें किसी को खोने का डर नहीं । #मुशाफिर#नोजोटो