Nojoto: Largest Storytelling Platform

कमलेश,गमों का अंधेरा हैं शहर में तभी तो रोशनी का ब

कमलेश,गमों का अंधेरा हैं शहर में
तभी तो रोशनी का बसेरा हैं शहर में।

हवा, पानी, खेत खलिहान  कुछ  नहीं,
ज्यादा कुछ नहीं, बस तेरा मेरा हैं शहर में।

कई उम्मींदे संजोये, गाँव से चले थे लोग,
चाहत में सबकी, पानी फेरा हैं शहर में।

मंजिले बड़ी हैं जबसे शहर के मकानों की,
पता न लगे कि शाम हैं या सवेरा हैं शहर में

©Kamlesh Kandpal
  #cityview