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"आखिर कब तक..?" read caption (अनुशीर्षक पढ़ें) लो

"आखिर कब तक..?"


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(अनुशीर्षक पढ़ें) लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान किसी के बाप की जागीर थोड़ी है और सरे आम एक हेड कॉन्स्टेबल की मौत हो जाती है! तो मुझ जैसे छोटे कवियों को ऐसी बड़ी बातें बोलनी और लिखनी पड़तीं हैं कि हाँ है बाप की जागीर हिन्दुस्तान। हिन्दुस्तान जागीर है उन जवानों की जो दुश्मन की गोली अपनी छाती पर खुशी खुशी खाते हैं ताकि हम सुकून से जी सकें, उन पुलिसकर्मियों की जो मुल्क़ को खोखला होने से बचाते हैं, उन शिक्षकों की जो युवाओं को सही शिक्षा देते हैं, उन चिकित्सकों की जो लोगों को नई ज़िन्दगी देते हैं, उन इंजीनियरों, वैज्ञानिकों की जो देश को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, औऱ हर उस हिंदुस्तानी की जो अपनी दुआ में हिन्दुस्तान को शरीक करता है हिंदुस्तान की खुशहाली की दुआ मांगता है। आखिर कब तक हम इन मज़हबी मुद्दों के जंजाल में उलझे रहेंगे? हम कब आगे बढ़ेंगे? जब माँ-बाप पुराना फ़ोन इस्तेमाल करते हैं तो हम उन्हें कहते हैं कि आप अपडेट हो जाइये तो हम क्यों इन मुद्दों को पीछे छोड़ अपडेट नहीं होते? वैसे तो लेख का अंत पूर्णविराम के साथ होता है पर इसे मैं प्रश्नचिन्ह के साथ छोड़ रहा हूँ ताकि आप स्वयं सोच कर पूरा करें की "आखिर कब तक?"
"आखिर कब तक..?"


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(अनुशीर्षक पढ़ें) लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान किसी के बाप की जागीर थोड़ी है और सरे आम एक हेड कॉन्स्टेबल की मौत हो जाती है! तो मुझ जैसे छोटे कवियों को ऐसी बड़ी बातें बोलनी और लिखनी पड़तीं हैं कि हाँ है बाप की जागीर हिन्दुस्तान। हिन्दुस्तान जागीर है उन जवानों की जो दुश्मन की गोली अपनी छाती पर खुशी खुशी खाते हैं ताकि हम सुकून से जी सकें, उन पुलिसकर्मियों की जो मुल्क़ को खोखला होने से बचाते हैं, उन शिक्षकों की जो युवाओं को सही शिक्षा देते हैं, उन चिकित्सकों की जो लोगों को नई ज़िन्दगी देते हैं, उन इंजीनियरों, वैज्ञानिकों की जो देश को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, औऱ हर उस हिंदुस्तानी की जो अपनी दुआ में हिन्दुस्तान को शरीक करता है हिंदुस्तान की खुशहाली की दुआ मांगता है। आखिर कब तक हम इन मज़हबी मुद्दों के जंजाल में उलझे रहेंगे? हम कब आगे बढ़ेंगे? जब माँ-बाप पुराना फ़ोन इस्तेमाल करते हैं तो हम उन्हें कहते हैं कि आप अपडेट हो जाइये तो हम क्यों इन मुद्दों को पीछे छोड़ अपडेट नहीं होते? वैसे तो लेख का अंत पूर्णविराम के साथ होता है पर इसे मैं प्रश्नचिन्ह के साथ छोड़ रहा हूँ ताकि आप स्वयं सोच कर पूरा करें की "आखिर कब तक?"
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