झूठ को अक्सर हमने मुस्कुराते देखा है। बातों को अनसुलझाएं ही चिल्लाते देखा है। सच खुलने के डर से अजीबो गरीब बातें करते देखा है। राज खुलने की चिंता में हर तरकीबें अपनाते देखा है। चेहरे पर खोखला आत्मविश्वास देखा है। दूसरो के कंधों पर बंदूक रखकर चलाते देखा है। अंहकार झलकाती मुखौटा पहने देखा है। गलती अस्वीकार करने वाला लहजा देखा है। ©Supriya Jha #jhut