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बेघर परिंदा हु,बसर कायम नही, किसी दिन मुझे भी उड ज

बेघर परिंदा हु,बसर कायम नही,
किसी दिन मुझे भी उड जाना है,
शाख तेरी छोड कर।
कुछ निशाँ हस्ती के मिलेंगे जरुर,
जिनसे मेरी शिनाख्त हो सके
कुछ तिनके बिखरे होंगे
प्यार जो लाया था ओढ कर।
आज या कल मिल जाऊँगा,
सभीका आखिर मुकाम है वही 
बोअते आना कुछ पेड मगर
सुकून रहे नये पंछीयोंको
पुरानी शाखे तोड कर।
Ct.JackOcean

©Jack Sparrow
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