बुढ़ापे कि उलझन.... जब तक बुढ़ापा नहीं आता, तब तक सब कुछ भाता जब बुढ़ापा है आता बच्चे कहेंगे बुढ्ढा मुफ्त में खाता यही सत्य दस्तूर है ज़माने का "बुढ़ापे" में पछताने का सुख,चैन से किसे "नसीब होता है" बुढ़ापा बिताने का बुढ़े भी कभी अच्छे थे, "मां बाप के नज़रों में" बच्चे थे 'मम्मी -पापा' बनकर बच्चों ने नज़रों में सबसे अच्छे थे वक्त हुआ कमजोर,बचपन एक ओर जवानी एक ओर रातों पहरा देता करता भोर, गालियां देता रातों को चोर "बुढ्ढा रातों को सोचा नहीं" हाथ साफ हमारा होता नहीं 'इससे तो अच्छा होता' "बुढ्ढा मर जाता" जाकर कहीं ©Anushi Ka Pitara #Oldman #बुढ़ापे_उलझन