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"सर्दियों के रात" सड़क से प्रेम और वादा/विक्रम अगस्

"सर्दियों के रात" सड़क से प्रेम और वादा/विक्रम अगस्त्य
     
/_ सर्दियों के रात, विरान पड़ी सड़कें..
दोस्तों के चल रहे थे, कंधे पे हाथ रख 
हमसभी कुछ गुनगुना रहे थे।
सर्द हवाएं साथ निभा रही थी, 
चाँद बादलों के पीछे शरमा रही थीं।
विक्रम अगस्त्य झूम उठा ,
दोस्तों ने संगीत की रंज भरा,
मौसम भी महक उठा , 
चाँद भी संमा देख खूबसूरत रौशनी से दहक उठा,
मनोरंजन का पल था, विरान सड़कें भी जग रहा था।

"कुछ दूर चलते ही सड़क की आखिरी छोर तक पहुंचा।
              ना जानें वो सड़कें मुझे से कुछ कह रही थी।
राही तो चलते हैं, मुझपे अनेक...
इतना जख्म मिला, इतना दरारें मिले,
       ना जाने तुम कहाँ से आऐं हो, ऐ राही आज मुझे तुमसे सच्चा प्यार मिला।
विक्रम अगस्त्य_ मेरे चहेरे पे ठंडी मुस्कान दिखा,
मैं उस सड़क को पीछे मुड़ -मुड़कर देख...
उससे वादा कर बैठा...ये संमा वापस आऐगी, ये सर्द रात भी होगीं, चाँद की खूबसूरती भी होगीं, ये दोस्त भी साथ होगें, और विक्रम अगस्त्य का आशिकाना अंदाज़ भी होगा।
            "मन' इतना कह निकल पड़ा आगे.....।
      
                          _-Vikram Agastya #NojotoQuote विक्रम अगस्त्य और सर्दियों में सड़कों से प्रेम
"सर्दियों के रात" सड़क से प्रेम और वादा/विक्रम अगस्त्य
     
/_ सर्दियों के रात, विरान पड़ी सड़कें..
दोस्तों के चल रहे थे, कंधे पे हाथ रख 
हमसभी कुछ गुनगुना रहे थे।
सर्द हवाएं साथ निभा रही थी, 
चाँद बादलों के पीछे शरमा रही थीं।
"सर्दियों के रात" सड़क से प्रेम और वादा/विक्रम अगस्त्य
     
/_ सर्दियों के रात, विरान पड़ी सड़कें..
दोस्तों के चल रहे थे, कंधे पे हाथ रख 
हमसभी कुछ गुनगुना रहे थे।
सर्द हवाएं साथ निभा रही थी, 
चाँद बादलों के पीछे शरमा रही थीं।
विक्रम अगस्त्य झूम उठा ,
दोस्तों ने संगीत की रंज भरा,
मौसम भी महक उठा , 
चाँद भी संमा देख खूबसूरत रौशनी से दहक उठा,
मनोरंजन का पल था, विरान सड़कें भी जग रहा था।

"कुछ दूर चलते ही सड़क की आखिरी छोर तक पहुंचा।
              ना जानें वो सड़कें मुझे से कुछ कह रही थी।
राही तो चलते हैं, मुझपे अनेक...
इतना जख्म मिला, इतना दरारें मिले,
       ना जाने तुम कहाँ से आऐं हो, ऐ राही आज मुझे तुमसे सच्चा प्यार मिला।
विक्रम अगस्त्य_ मेरे चहेरे पे ठंडी मुस्कान दिखा,
मैं उस सड़क को पीछे मुड़ -मुड़कर देख...
उससे वादा कर बैठा...ये संमा वापस आऐगी, ये सर्द रात भी होगीं, चाँद की खूबसूरती भी होगीं, ये दोस्त भी साथ होगें, और विक्रम अगस्त्य का आशिकाना अंदाज़ भी होगा।
            "मन' इतना कह निकल पड़ा आगे.....।
      
                          _-Vikram Agastya #NojotoQuote विक्रम अगस्त्य और सर्दियों में सड़कों से प्रेम
"सर्दियों के रात" सड़क से प्रेम और वादा/विक्रम अगस्त्य
     
/_ सर्दियों के रात, विरान पड़ी सड़कें..
दोस्तों के चल रहे थे, कंधे पे हाथ रख 
हमसभी कुछ गुनगुना रहे थे।
सर्द हवाएं साथ निभा रही थी, 
चाँद बादलों के पीछे शरमा रही थीं।