मनमौजी सी चल रही थी, खींच कर धकेला गया, मेरे वस्त्रो के चिथड़े कर मुझे ज़लील किया गया, उस रात मेरे जिस्म को तार तार कर मुझे हर पल तड़पाया गया, शरीर पर हर जगह घाव और बस वो निशान थे, पर उनके मुझ पर वार अभी भी दमदार थे, मेरी रगों में बहती गंगा को विषैला बनाया गया, हर पल मुझे मृत्यु का मंजर दिखाया गया, दुष्कर्म किया उन्होंने हाथ मेरे मैले हुए, रौंदा गया मुझे , हर पल मेरे टुकड़े हुए परिणाम- बदले गए नाम, किये गए आंदलोन, बस सहानुभूति का पात्र बन ठहर गए हम, उस भीड़ ने इंसाफ की गुहार लगाई, पर अदालत में मेरे ही संस्कारो की क्लास लगाई, शब्दो के प्रहार कुछ ऐसे हुए, की फिर मेरा बलात्कार हुआ, पर उस जनसमूह की ताकत ने उन जल्लादों को नर्क पहुँचाया, यह शरीर अधमरा हो गया था,पर यह रूह अभी भी जीवित ताकत और इच्छाशक्ति इसमे आज भी भरपूर थी, लड़ी, खड़ी हुई, अपने टुकड़ो को समेटा, और एक उड़ान लगाई, जो अब रुकने वाली नही थी। -'TIKU' #womensafety #secondpoetry #justiceforrapevictims #changeopinions #womenempowerment #hindilover #hindikavitayein #poet