तेरी जुल्फों में उलझ कर मैं लखनऊ का अमीनाबाद हो जाऊं अकेली यमुना कब तक निहारे ताज को कोई मिले गंगा तो मैं भी प्रयागराज हो जाऊं -Virat Sharma