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मैं भी रहूँ अपनी औकात में कुछ पल के लिए कोई तो म

मैं भी रहूँ अपनी औकात में कुछ पल के लिए  
कोई तो मुझे मुझसे दे मिला कुछ पल के लिए  

मैं अपनी हस्ती से अलग जी रहा था तेरी हस्ती  
मैं अपना ही नहीं था रहा कुछ पल के लिए  

मैं साहिल पर गया तो समंदर ने पैर धोए मेरे  
मैंने ख़ुद को ईश्वर समझ लिया कुछ पल के लिए  

रेत ही सा फिर बह गया समंदर में कातिब 
पैरों के नीचे से लहरों ने जब रेत दी हिला कुछ पल के लिये

©Prashant Shakun "कातिब" #कुछ__पल__के__लिए #diary #poetry #lifelessons #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से  #pshakunquotes  by #प्रशांत_शकुन_कातिब

Parastish Mysterious Girl  Mirza raj "सीमा"अमन सिंह  Dr.santosh Tripathi
मैं भी रहूँ अपनी औकात में कुछ पल के लिए  
कोई तो मुझे मुझसे दे मिला कुछ पल के लिए  

मैं अपनी हस्ती से अलग जी रहा था तेरी हस्ती  
मैं अपना ही नहीं था रहा कुछ पल के लिए  

मैं साहिल पर गया तो समंदर ने पैर धोए मेरे  
मैंने ख़ुद को ईश्वर समझ लिया कुछ पल के लिए  

रेत ही सा फिर बह गया समंदर में कातिब 
पैरों के नीचे से लहरों ने जब रेत दी हिला कुछ पल के लिये

©Prashant Shakun "कातिब" #कुछ__पल__के__लिए #diary #poetry #lifelessons #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से  #pshakunquotes  by #प्रशांत_शकुन_कातिब

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