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थोड़ा सा मुर्झाना है, थोड़ा सा महकना है, रोज गिरकर स

थोड़ा सा मुर्झाना है,
थोड़ा सा महकना है,
रोज गिरकर संभलना है
रोज डर कर सहमना है
रोज दुरुस्तगी को पाना है

थोड़ा सा होश में आना है
थोड़ा सा बहकना है
थोड़ा सा खामोश रहना है
थोड़ा सा चहकना है

हर पल दिल टूट रहा है
हर पल में मुस्कुरा रहा हूँ
यूँ तो बहोत बोल रहा हूँ में
पर थोड़ा सा समझ पाता हूँ

थोड़ा सा उदास रहना है
थोड़ा सा जश्न मनाना है
थोड़ा सा समंदर हूँ में
थोड़ा सा प्यासा हूँ में

पहेली जो बूझ रहा हूँ
थोड़ा सा उलझ रहा हूँ

©Rakesh Bhardwaj #RaKa 
#story 
#Poetry 
#Night
थोड़ा सा मुर्झाना है,
थोड़ा सा महकना है,
रोज गिरकर संभलना है
रोज डर कर सहमना है
रोज दुरुस्तगी को पाना है

थोड़ा सा होश में आना है
थोड़ा सा बहकना है
थोड़ा सा खामोश रहना है
थोड़ा सा चहकना है

हर पल दिल टूट रहा है
हर पल में मुस्कुरा रहा हूँ
यूँ तो बहोत बोल रहा हूँ में
पर थोड़ा सा समझ पाता हूँ

थोड़ा सा उदास रहना है
थोड़ा सा जश्न मनाना है
थोड़ा सा समंदर हूँ में
थोड़ा सा प्यासा हूँ में

पहेली जो बूझ रहा हूँ
थोड़ा सा उलझ रहा हूँ

©Rakesh Bhardwaj #RaKa 
#story 
#Poetry 
#Night