तुम भी न कमाल करते हो ... सोच छोटी रखते हो और मुझे बुरा समझते हो महलों में रह कर झोपड़ी को सोचते हो ... तुम भी न कमाल करते हो एक ही नज़र से सब को तोलते हो जैसे तुम हो,वैसा ही दुनिया को देखते हो हाँ मैं हूँ तुमसे कुछ अलग मगर क्यों मुझे बुरा समझते हो तुम भी न कमाल करते हो "खिड़की से आसमाँ की वुसअत को नापते हैं" लोग कमाल करते हैं अपने महदूद नज़रिये से लोगों के पोटेंशिअल को आँकने की कोशिश करते हैं। वुसअत - फैलाव महदूद - लिमिटेड Collab करें YQ Bhaijan के साथ।