दूर पड़ी मेरी अलमारी में से तेरी मेरी यादो की महक आ जाती है, इक तेरे बाद तेरी चिट्ठीयां ही है मेरे पास, जो अकसर होंटो रो गुलजार और आंखों को जार जार कर जाती है, जिस्म बंधा करते है लोगो रे, रूहे नही बंधा करती, मुट्ठी बंद कर लेने भर से, न वक्त और न ही यादे थमा करती, चला जाता है इंसान बडी आसानी से मुंह फेर कर, यादे इतनी आसानी से हाथ झटका नही करती निकाल कर पढ लेता हूँ जब तब उन दिल फरेब बातो को, कभी दिल ना दुखाने,राह मे अकेला न कर जाने के वादो को, कुछ यूं महसूस होता है तेरा वजूद, हर शब्द मे तेरी खुशबू हो बसती.. चिठ्ठी