“नमकीन” आंसुओं से लेते हैं और ग़म की “शराब” पीते हैं “नशा” नस-नस में रमता है होठों को हाथ से “सीते” है आंखों में “आग” होती है आंसू “अनाथ” होते हैं दिल की “भस्म” को माथे पे लगा के “जीते” हैं नमकीन आंसुओं से लेते हैं और ग़म की शराब पीते हैं.. ©Govind Singh #Anger #आंसू #शराब #गम #भस्म