बचपन छोटा था, उम्मीदें बढ़ी थी, बहुत कुछ करना था, सबके लिए करना था, सभी अपने लगते थे, सभी स्नेह करते थे, उम्र बीती तजुर्बा बदला, सच में जो अपने है आज भी वैसे है, झूठों का नजरिया बदला, मैंने अभी भी थोड़ी बचपन बचा रखी है, मैंने अभी भी स्वयं से उम्मीदें लगा रखी है, बहुत कुछ करना है, अपनों के लिए करना है। #बचपन छोटा था #उम्मीदें बढ़ी थी, बहुत कुछ करना था, सबके लिए करना था, सभी अपने लगते थे, सभी #स्नेह करते थे, उम्र बीती #तजुर्बा बदला, सच में जो अपने है आज भी वैसे हैं, #झूठों का #नजरिया बदला,