White कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए यहाँ दरख़्तों के साए में धूप लगती है चलें यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए न हो क़मीज़ तो पाँव से पेट ढक लेंगे ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बे-क़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए तिरा निज़ाम है सिल दे ज़बान-ए-शायर को ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए जिएँ तो अपने बग़ैचा में गुल-मुहर के तले मरें तो ग़ैर की गलियों में गुल-मुहर के लिए -Dushyant kumar ©gudiya #sad_quotes #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohi