चाह से ही राह बनेगी, गांठ मन में बाँध ले पहले तय करले ड़गर तू, फिर निशाना साध ले। साहस के धागे में प्यारे, धैर्य का मोती पिरोकर पूरा होगा ध्येय सारा, तू मौज फिर अगाध ले।। *** कवि :-अमर'अरमान' 7651997046 बघौली,हरदोई उत्तर प्रदेश ©स्वरचित और मौलिक ©Amar'Arman' मुक्तक #Amar #amararmaan #chitralekhaekmuqaddaspremkahani #chitralekha #amarsahitya #lakhya #kavo #coldnights