तुझे अल्फाज़ो में ढूँढू , तुझे शब्दो मे सजाऊँ , तेरे नाम के अक्षरों की , एक नई वर्णमाला बनाऊँ, तू अल्हड़ नदी से बहती रहे , मैं देख तुझे किसी झड़ने सा इतराउ , यूँ तो अकड़ मुझमे पर्वतो सी है , पर तेरे सामने अदना हो जाऊं, कायनात सा खुद में समेट लू तुझे , या तुझी को अपनी क़ायनात बनाऊँ , हसरत ये नही की तू मेरी रहे , हसरत तो ये है की मैं तेरा हो जाऊं।। ©Gautam Sharma #हसरत