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शोभा जी जीवन के अंत की तरह जब लंबे दिनों में गूं

शोभा जी 
जीवन के अंत की तरह जब लंबे दिनों में 
गूंजने लगते हैं पुराने दिनों के चुंबन तब लगता है 
अच्छा किया जो नष्ट कर ली भाषा 
गूलर के स्वाद जैसे स्पर्श की व्याख्या से बच गये 

किसी कला के दीर्घजीवी होने से अच्छा है 
वह उत्कट हो ले
शोभा जी 
जीवन के अंत की तरह जब लंबे दिनों में 
गूंजने लगते हैं पुराने दिनों के चुंबन तब लगता है 
अच्छा किया जो नष्ट कर ली भाषा 
गूलर के स्वाद जैसे स्पर्श की व्याख्या से बच गये 

किसी कला के दीर्घजीवी होने से अच्छा है 
वह उत्कट हो ले