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कबीर साहब की रचनाओं में ब्राह्मणों को चेतावनी देने

कबीर साहब की रचनाओं में ब्राह्मणों को चेतावनी देने वाले कई दोहे और कविताएँ मिलती हैं, जहाँ वे पाखंड, आडंबर और जातिगत भेदभाव का विरोध करते

ब्राह्मण को चेतावनी

पढ़े-लिखे जो ब्राह्मण कहाए,
अज्ञान से जग को भरमाए।
गुरुता का बाना धर करके,
माया-मोह में फँसते जाए।

कहे कबीर सुनो भाई साधो,
जाति-पांति का फेर न साधो।
सत्य का मर्म जो पाएगा,
वही परम पद पा जाएगा।

मंदिर में दीप जलाए बैठा,
अंतर का तम मिटा न पाया।
ग्रंथ पढ़े, पर अर्थ न समझा,
सत्य से कोसों दूर ही रह गया।

कर्म से ऊपर जात नहीं है,
मानवता ही सत्य का गहना।
साधु बने जो द्वार तुम्हारे,
उनका दिल भी साफ ही रहना।

कबीर कहे ज्ञान से जागो,
छोड़ो झूठे भेद अभागो।
परमपद को जो चाहे पाना,
मन में प्रेम का दीप जलाना।

कबीर जी के अनुसार, सच्चा ज्ञान किसी जाति-धर्म में नहीं बँधा होता। उनके संदेशों में इंसानियत, प्रेम, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा है।

©Writer Mamta Ambedkar #Fire  हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता
कबीर साहब की रचनाओं में ब्राह्मणों को चेतावनी देने वाले कई दोहे और कविताएँ मिलती हैं, जहाँ वे पाखंड, आडंबर और जातिगत भेदभाव का विरोध करते

ब्राह्मण को चेतावनी

पढ़े-लिखे जो ब्राह्मण कहाए,
अज्ञान से जग को भरमाए।
गुरुता का बाना धर करके,
माया-मोह में फँसते जाए।

कहे कबीर सुनो भाई साधो,
जाति-पांति का फेर न साधो।
सत्य का मर्म जो पाएगा,
वही परम पद पा जाएगा।

मंदिर में दीप जलाए बैठा,
अंतर का तम मिटा न पाया।
ग्रंथ पढ़े, पर अर्थ न समझा,
सत्य से कोसों दूर ही रह गया।

कर्म से ऊपर जात नहीं है,
मानवता ही सत्य का गहना।
साधु बने जो द्वार तुम्हारे,
उनका दिल भी साफ ही रहना।

कबीर कहे ज्ञान से जागो,
छोड़ो झूठे भेद अभागो।
परमपद को जो चाहे पाना,
मन में प्रेम का दीप जलाना।

कबीर जी के अनुसार, सच्चा ज्ञान किसी जाति-धर्म में नहीं बँधा होता। उनके संदेशों में इंसानियत, प्रेम, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा है।

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