ये इनायतें गज़ब की ,ये बला की मेहरबानी मेरी खैरियत भी पूछी, किसी और जुबानी मेरा ग़म रुला चुका है, तुझे बिखरी जुल्फ वाले ये घटा बता रही है, कि बरस चुका है पानी तेरा हुस्न सो रहा था, मेरी छेड़ ने जगाया वो निगाह मैंने डाली, कि सवर गई जवानी गिरे हैं चन्द कतरे, मेरी बेज़ुबान आंखों से वो समझ सके तो आंसू, ना समझ सके तो पानी #Mustakeem rafi #आंसू शुभम सिंह