हसीनों पे लाज़िम है बेवफाई क्या इश्क़ में एक चलन है वो निभा रहे हैं वो खुश्बूं है बिखर रही है चार सूं हम है कि सांसों में उन्हें बसा रहे हैं मेरी किताबों में भी वो शामिल है यूं हर वर्क पे हर लफ्ज़ में मुस्कुरा रहें हैं हमारे अहद से वाकिफ हैं इसलिए शायद अब किसी अजनबी को वो आजमा रहे है पहरे है इस वक़्त हर शय पर और ज़माने की निगाहें है तेरे हिस्से में इंतज़ार है 'राही' अभी वो मेहंदी लगा रहे है #बेवफा #इंतजार #अनीस राही