मासूम नेताओं की देहली में यह घटना हुयी है, संवेदनाओं की आहुति में वेदना हुयी है। न शर्म रही न हया का अब कानून रहा, देहली का संविधान लिफाफों का मजबून रहा। निर्भया से हया न आई, बात आई मगर दया न आई। बहुत कुछ सह गयी वेदना, रात आई मगर सुबह न आई। और कितने जख्म देगा माफियाराज, वो नहीं हारी हारा तो समाज। बाबा #कविता