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एक रात का मुसाफ़िर क्या जाने, तमस को कैसे हटाना है.

एक रात का मुसाफ़िर क्या जाने,
तमस को कैसे हटाना है..!
ग़म को किसी के जीवन से हटा,
खुशियों का हाथ कैसे बटाना है..!

चाँद की चाँदनी ढक लेती है अँधेरा,
सवेरा जीवन में कैसे लाना है..!
बचना झूठी तारीफें रचना,
मुश्किलों से बचना बचाना है..!

ज़िन्दगी है ताश का जोकर,
ठोकर खाकर क्यों जाना मयख़ाना है..!
ज़माने की कठोरता को तोड़ता साहस,
ख़ुद का किरदार पहचाना है..!

ख़्वाबों से निकलकर,
पिघलकर संस्कारों की श्रेणी में..!
तोड़ ग़ुलामी की जंज़ीरें,
कुछ कर दिखाना है..!

उठ कर थोड़ा डट कर हटकर औरों से,
भाग्य मेहनत से ख़ुद का लिखाना है..!
कि हारते नहीं जो ख़ुद से कभी,
उनका सदैव ऊँचा ठिकाना है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #SunSet #Ekraatkamusafir