इन ख़्वाहिशों की तपिश में कब तक जलता रहेगा, ये कभी ख़त्म न होंगी और तू हरदम मरता रहेगा, ए–इंसॉं यूं न अपने भीतर ईप्साएं जगाता चल, ये न कभी पूर्ण होंगी, तू हरदम इनको ख़त्म करता चल।। क्षण–प्रतिक्षण ये उभरती रहेंगी, तू इन्हें कदापि न उभरने दिया कर। ये घेर लेंगी तुझे चहुंओर से, तू बिना बेबसी के, इन्हें अनदेखा कर और खुशी के गीत गाते हुए आगे बढ़ता चला चल।। ©D.R. divya (Deepa) #Life #ख्वाहिश #Human #SAD