काश ऐसा हो जब रास्तों के पत्थरों से टकराते चलोगे, मैं फूलों सी चादर सा तुम्हारी मंजिल तक चलूंगा, जब सूरज की रोशनी में तपते चलोगे, मैं बादलों सा बनके तुम्हे छाँव में रखूँगा, वो रातो के साये जब जकड़ेंगे तुमको, में जुगनुओं से चमकता तेरे साथ मे चलूंगा, जब थक हार कर ज़िन्दगी की नाकामयाबियों से बैठोगे किसी रोज उदास तुम, मैं वहीँ कहीं पास में बैठा एक नई आस सी दिखूंगा मैं होंठो पर आती हल्की सी मुस्कान सा दिखूंगा । 😇