वो दुर्गा है वो काली है, प्यारी सी भोली भाली है, वो ज्ञान का दिप जलाती है, जीना हमको सिखलाती है, 'पन्ना' बनकर जब आती है, कर्तव्य बोध करवाती है, स्वरुप 'सती' का रखती है, यमराज से फिर नहीं डरती है, अंगुली थामे बेटी बनकर, पत्नी बनकर घर आती है, माँ बनकर जिम्मेदारी संभाले, रस्में सारी निभाती है। वो बेटी ,पत्नी पर भी माँ जैसी जिम्मेदारी है, कोमल हृदय स्वरुप है ये, हम इनके आभारी है। वो दुर्गा है वो काली है, प्यारी सी भोली भाली है, वो ज्ञान का दिप जलाती है, जीना हमको सिखलाती है, 'पन्ना' बनकर जब आती है, कर्तव्य बोध करवाती है, स्वरुप 'सती' का रखती है,