उफ़ ये बेरुखी तुम्हारी सितम पर सितम ढा रही है, मत पूछ मेरी सब्र की इन्तेहा बस दिन- रात तुम बिन भी गुजरती जा रही है । ©rim__writes उफ़ ये आँखे तुम्हारी सितम ढाती है और किसी पर पड़ती नही और तुम्हारे सामने झुक जाती हैं।। ©k_charchit ©charchit khandelwal collaboration with @rim_writes follow me in instagram/k_charchit