फुर्सत मिले कभी तो, बैठजाना दो पल उन बूढी अाँखो के सामने उन कमज़ोर हाथो को थामने फुर्सत मिले कभी तो, बन जाना सहारा उन बेजान कंधो का बनजाना उजाला मासूम अंधो का फुर्सत मिले कभी तो, उनके पैरो को ज़रा दबा देना आज थाली में प्यार परोस एक निवाला उन्हे खिला देना फुर्सत मिले कभी तो, उनके सर को ज़रा सहला देना सफेद हो गए बालो पर आँखो की स्याही सजा देना फुर्सत मिले कभी तो, अाज अारती भगवान की छोढ देना फिर मॉ का आँचल ओढ लेना फुर्सत मिले कभी तो,क्योकी ना जाने फिर ये माँ ये बाबा मिले ना मिले र्फुर्सत बेशक मिल जाए पर फिर ये दो फूल खिले ना खिले ~divuu #maa #papa #shayari #nojoto #poem #poetry