मोहब्बत छोड़ दी हमने बहुत पेहले की बाते है कुछ किस्से पुराने है मोहब्बत एक खुशबू थी ओर हम उसके दिवाने थे वो मुझसे रूठ जाती थी मे उसको फिर मनाता था वो मुझसे दूर जाती थी. मे उसके पास ज़ाता था मैं उस पर ढैरो ग़ज़लें और नज़्में भी बनाता था कभी जब रूठं जाती वो तो फिर उसको सुनाता था इन्ही नादानियो मे फिर हमारे साल कुछ बीते बहुत दिलकश थे वो किस्से जो हमारे साथ में बीते फिर एक दिन ये हुआ के हमसे वो नाराज हो बेठी कोई गलती नही थी फिर भी वो हमसे रही रूठी फिर एक दिन एक महफ़िल में मे गमगीन बेठा था अचानक जब मिली नजरे तो बिलकुल चौक बेठा था हा ये वो ही मोहब्बत थी जो हजारों कस्मे खाती थी हा बिल्कुल वो ही मोहब्बत थी जो मुझपे वारी जाती थी हा मेने उस मोहब्बत को गले मिलते हूए देखा हा उसे हस्ते हूए देखा उसे बिकते हूए देखा मोहब्बत हस के ये बोली तुमे क्या चाहिए मुझसे मे गुस्से मे उसे बोला मोहब्बत तु दूर जा मुझसे वो दिन हे के ये दिन हे वो मुझसे दूर रहती हैं कभी आती नही मुझ तक वो मुझसे रूठ बेठी है बस उस दिन से शकील मोहब्बत छोड़ दी हमने वफ़ा भी तोड़ दी हमने. मोहब्बत छोड़ दी हमने ©Shaikh Shayar #WorldAsteroidDay