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ज़ख्मों को जितना छुपा सकते हो साहब, छुपा लो, यहां

ज़ख्मों को जितना छुपा सकते हो साहब, छुपा लो,
यहां लोग बंद मुट्ठियों में, नमक लिए फिरते हैं,
दिल भूल से भी मत लगाना साहब,
यहां दिल तोड़ने के नये बहाने लिए फिरते हैं।
Abhishekism
21st May 2019
(2:03 PM) #abhishekism #truth #reality
#poet #poets #poems #poetry #hindipoem #hindi
ज़ख्मों को जितना छुपा सकते हो साहब, छुपा लो,
यहां लोग बंद मुट्ठियों में, नमक लिए फिरते हैं,
दिल भूल से भी मत लगाना साहब,
यहां दिल तोड़ने के नये बहाने लिए फिरते हैं।
Abhishekism
21st May 2019
(2:03 PM) #abhishekism #truth #reality
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