सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 57) में आपका स्वागत है! चलिए पहले खाना खाकर दवा खाईए!मुझे वापस भी जाना है! शिखा पूरी तरह भीग चुकी थी! हवा की तेज थपेड़े खा खा कर कांप रही थी!नंदू अपना स्टॉक जलाता है!शिखा के तरफ खिशकाते हुए लीजिए , तब तक हाथ सेकिए!मैं जल्दी से खाना खाकर दवा खा लेता हूं!नंदू जल्दी-जल्दी खाना खाकर दवा खाता है!और फिर शिखा को लेकर उसके क्वार्टर तक छोड़ने चलता है! बिजली ना होने के कारण चारों तरफ अंधेरा रहता है! रास्ते में लगे पेड़ पौधे काले बड़े दानव के समान दिख रहे थे! कमरे पर पहुंच कर,नंदू बोलता है ठीक है अब आप आराम कीजिए मैं जा रहा हूं!सीखा तेज आवाज में बोलती है !नहीं नहीं आपको कहीं नहीं जाना है, बाप रे मैं अकेले यहां डर के मारे मर जाऊंगी!आप यही बरामदे में लेट जाइए! इतना कहती हुई कपड़े बदलने कमरे में चली जाती है!नंदू वही बरामदे में बैठ जाता है कुछ देर के बाद शिखा आती है पूछती है? आपको ठंड लग रहा है! नंदू अपना सिर हिलाते हुए नहीं नहीं! ©writer Ramu kumar #Sad_Status #writerRamukumar Anshu writer हिंदी फिल्म