उज्जैन में मेरा जन्म हो ओंकारेश्वर में मैं पल जाऊं खेलूं नागेश्वर के साथ और मैं सोमनाथ सा ढल जाऊं त्र्यंबकेश्वर से शिक्षा मिले और भीमशंकर से बल पाऊं गिरिशेश्वर से मुझे ज्ञान मिले और देख मल्लिकार्जुन को मैं भाव सागर से तर जाऊं रामेश्वर से मुझे राम मिले और वैद्यनाथ से विजय पाऊं हो केदारनाथ में दिन आखिरी और काशी में मैं मर जाऊं..... और काशी में मैं मर जाऊं..... -कृष्णामरेश ©Amresh Krishna #MaiAurMereMahadev