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सुनो प्रेम, ना जाने कौन सी साँस आख़िरी हो? तुम बि

सुनो प्रेम, 
ना जाने कौन सी साँस आख़िरी हो? तुम बिन तड़पती हूँ मैं यहाँ, तुम्हारे लिए कांपते हाथों से मृत्यु शय्या की गोद से अंतिम ख़त:_

प्रेम! वक़्त, बे वक़्त की नाराज़गी यूँ अच्छी नहीं हैं 
तुम बहुत "अच्छे" हो, यह नासमझी अच्छी नहीं हैं  सुनो प्रेम, 
ना जाने कौन सी साँस आख़िरी हो?
कुछ तुम्हारे लिए कांपते हाथों से मृत्यु शय्या की गोद से ख़त:_

प्रेम ! वक़्त, बे वक़्त की  नाराज़गी यूँ अच्छी  नहीं हैं 
तुम बहुत "अच्छे" हो,  यह  नासमझी अच्छी नहीं हैं 
प्रेम तुम्हारा नाम ही सार्थक करता हैं यह जीवन मेरा 
तुम्हारा स्थान  कोई नहीं ले सकता,  मृत्यु पर्यंत तक
सुनो प्रेम, 
ना जाने कौन सी साँस आख़िरी हो? तुम बिन तड़पती हूँ मैं यहाँ, तुम्हारे लिए कांपते हाथों से मृत्यु शय्या की गोद से अंतिम ख़त:_

प्रेम! वक़्त, बे वक़्त की नाराज़गी यूँ अच्छी नहीं हैं 
तुम बहुत "अच्छे" हो, यह नासमझी अच्छी नहीं हैं  सुनो प्रेम, 
ना जाने कौन सी साँस आख़िरी हो?
कुछ तुम्हारे लिए कांपते हाथों से मृत्यु शय्या की गोद से ख़त:_

प्रेम ! वक़्त, बे वक़्त की  नाराज़गी यूँ अच्छी  नहीं हैं 
तुम बहुत "अच्छे" हो,  यह  नासमझी अच्छी नहीं हैं 
प्रेम तुम्हारा नाम ही सार्थक करता हैं यह जीवन मेरा 
तुम्हारा स्थान  कोई नहीं ले सकता,  मृत्यु पर्यंत तक
krishvj9297

Krish Vj

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