मेरा नाम लेकर बुलाने लगी हैं। तेरी गलियाँ यूँ रिझाने लगी हैं। जीवन की घड़ियाँ बीतें इनमें! मुझको अब यह सुहाने लगी हैं। ग़ुलाब तेरे हाथों में महकने लगे लब मुस्कुराए और चहकने लगे इश्क़ जिन्दा होते देखा है मैंने! ज़िन्दगी फ़िर गुनगुनाने लगी है। ♥️ Challenge-881 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।