जितना विश्वास कच्चा होता है उतना ही मजबूत अंधविश्वास होता है फर्क इंसान क्या करे भला रिश्तों की जंजीरों से बंधा जो होता है हमारे एक मित्र कहते हैं कि रोज़ आसमान से उतर कर कोई उनसे मिलने आता है, तो हमारे अन्य मित्र उसको अंधविश्वासी कहते हैं। जो उसे अंधविश्वासी कहते हैं, वे ख़ुद बहुत सी ऐसी चीज़ों में विश्वास करते हैं जिसे विज्ञान की दृष्टि से प्रमाणित नहीं किया जा सकता। जैसे कोई विश्वास करता है कि उसकी किताब ईश्वरीय कृति है। कोई आत्मा में विश्वास करता है, कोई पुनर्जन्म में विश्वास करता है, कोई जन्नत और जहन्नुम के अस्तित्व में विश्वास करता है, कोई किसी चीज़ में विश्वास करता है... रोचक यह है कि वैज्ञानिक दृष्टि किसी के विश्वास के साथ संगत नहीं है, तो हमारे उस एक मित्र के विश्वास को अंधविश्वास कैसे कह सकते हैं? ये तो वही बात हुई कि "हमारा विश्वास विश्वास, तुम्हारा विश्वास अंधविश्वास" अगर आप अंधविश्वास ख़ारिज़ करने के शौक़ीन हैं, तब तो सब विश्वास एक साथ ख़ारिज़ होंगे और जब विश्वास ही करना है तो दूसरे को गरियाने का क्या फ़ायदा? यह कह के कि तुम्हारा वाला झूठा है और मेरा वाला सच्चा!