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क्या हमारी वाली मां की ममता ही लोगों को मिल पाएगी

क्या हमारी वाली मां की ममता ही लोगों को मिल पाएगी
हमारे वाली मम्मी हाथों से खाना खिलाती थी अब वाली मम्मी को देखो खुद फो्रक से खाती हैं पहले हम नखरे करते थे और मम्मी हमें मनाती थी अब तो मम्मी खुद बच्चों से ज्यादा नखरे दिखाती है 
क्या उस जमाने की संस्कृत ऐसे ही बुला दी जाएगी
क्या हमारी वाली मां की ममता इन लोगों को मिल पाएगी क्या हमारी वाली मां की ममता इन लोगों को मिल पाएगी
क्या हमारी वाली मां की ममता ही लोगों को मिल पाएगी
हमारे वाली मम्मी हाथों से खाना खिलाती थी अब वाली मम्मी को देखो खुद फो्रक से खाती हैं पहले हम नखरे करते थे और मम्मी हमें मनाती थी अब तो मम्मी खुद बच्चों से ज्यादा नखरे दिखाती है 
क्या उस जमाने की संस्कृत ऐसे ही बुला दी जाएगी
क्या हमारी वाली मां की ममता इन लोगों को मिल पाएगी क्या हमारी वाली मां की ममता इन लोगों को मिल पाएगी