अब सिगरेट सुलग रहे हैं इन होंठो के बीच में कभी तुम्हारे होठ हुआ करते थे जानेमन इन होंठो के बीच में- अंकुर गोस्वामी तुम्हारे होठ - अंकुर गोस्वामी