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जिन होठों पे कभी तेरा नाम था, अब खामोश रहते हैं! ज

जिन होठों पे कभी तेरा नाम था,
अब खामोश रहते हैं!
जिन हाथों में कभी तेरा हाथ था,
आज उनमें कलम और डायरी आ गई। 
अच्छा था जब दर्द चुप चाप सह लेता था,
अब लफ्जों में बयान करता हूं तो लोग कहते हैं:
कंवल तुम्हें भी शायरी आ गई!
On the lips that once had your name, 
Remain silent now! 
The hands in which your hand I once held, 
Today hold pen and diary. 
It was good when the pain was silently tolerated, 
Now if I describe in words, 
People say: Kanwal you have also learnt poetry!

©Kanwalpreet Singh
  जिन होठों पे कभी तेरा नाम था,
अब खामोश रहते हैं!
जिन हाथों में कभी तेरा हाथ था,
आज उनमें कलम और डायरी आ गई। 
अच्छा था जब दर्द चुप चाप सह लेता था,
अब लफ्जों में बयान करता हूं तो लोग कहते हैं:
कंवल तुम्हें भी शायरी आ गई!
On the lips that once had your name,

जिन होठों पे कभी तेरा नाम था, अब खामोश रहते हैं! जिन हाथों में कभी तेरा हाथ था, आज उनमें कलम और डायरी आ गई। अच्छा था जब दर्द चुप चाप सह लेता था, अब लफ्जों में बयान करता हूं तो लोग कहते हैं: कंवल तुम्हें भी शायरी आ गई! On the lips that once had your name, #Shayari #lifechanges #kpspoetry #kpsquotes #kpsshayari

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