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।।बचपन को बचाना है।। देश की मौजूदा हालत पर, पतझड

।।बचपन को बचाना है।।

देश की मौजूदा हालत पर,

पतझड़ में घिरा देखो, उपवन को बचाना है।
 मेघों को बचाना है, सावन को बचाना है।

प्रदूषण पर,      
नदियों में जहर घोला, पेड़ों को मिटा डाला
               अब मौत के पंजे से जीवन को बचाना है।            
अपनों में पर आए हैं रिश्ते हुए बेमानी
              दीवारों के घेरे में आंगन को बचाना है ।       


औरतों की दुर्दशा पर,    
आंखों से बहा काजल कहता है ये रो-रो कर
आंखों को बचाना है , दरपन को बचाना है।
जब कोंख में किलकारी घुट के मर जाती है।
मुस्कान बचाने को बचपन को बचाना है।
                                          शैलेश "सरल" #बचपन को बचाना है।।#
।।बचपन को बचाना है।।

देश की मौजूदा हालत पर,

पतझड़ में घिरा देखो, उपवन को बचाना है।
 मेघों को बचाना है, सावन को बचाना है।

प्रदूषण पर,      
नदियों में जहर घोला, पेड़ों को मिटा डाला
               अब मौत के पंजे से जीवन को बचाना है।            
अपनों में पर आए हैं रिश्ते हुए बेमानी
              दीवारों के घेरे में आंगन को बचाना है ।       


औरतों की दुर्दशा पर,    
आंखों से बहा काजल कहता है ये रो-रो कर
आंखों को बचाना है , दरपन को बचाना है।
जब कोंख में किलकारी घुट के मर जाती है।
मुस्कान बचाने को बचपन को बचाना है।
                                          शैलेश "सरल" #बचपन को बचाना है।।#